राजस्थान के प्रमुख रीति – रिवाज नोट्स

अगर आप राजस्थान से संबंधित किसी भी परीक्षा ( RAS, REET , 2nd Grade , LDC , Rajasthan Police , High Court ) की तैयारी करते हैं तो Rajasthan Art & Culture में उपलब्ध कराए जाने वाले नोट्स आपके लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है इस पोस्ट में हम आपको राजस्थान के प्रमुख रीति – रिवाज नोट्स के शॉर्ट नोट्स नि शुल्क लेकर आए हैं ताकि यह टॉपिक आपको अच्छे से क्लियर हो सके

राजस्थान की कला एवं संस्कृति ( Rajasthan Culture) के ऐसे नोट्स आपको ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी अगर आप हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले नोट्स के माध्यम से तैयारी करते हैं तो निश्चित ही आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे

राजस्थान के प्रमुख रीति – रिवाज नोट्स

राजस्थान के प्रमुख रीति – रिवाज नोट्स PART – 1

15. विवाह संस्कार

  • गृहस्थाश्रम में प्रवेश के अवसर पर किया जाने वाला संस्कार।
  • पितृ ऋण से मुक्ति के लिए यह संस्कार अनिवार्य है।

16. अंत्येष्टि

  • यह मृत्यु पर किया जाने वाला दाह संस्कार। मानव जीवन का अंतिम संस्कार।

जन्म संबंधी रीतिरिवाज

गर्भाधान

  • नवविवाहित स्त्री के गर्भवती होने की जानकारी मिलते ही उत्सवों का आयोजन किया जाता है।
  •  इस अवसर पर महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए जाते हैं।

पंचमासी

  • यह एक प्रकार से पुंसवन संस्कार है जिसमें गर्भवती महिला का 5 माह का गर्भधारण का समय पूरा हो जाता था, तब गर्भ की सुरक्षा हेतु देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी।

आठवाँ पूजन

  • गर्भवती स्त्री के गर्भ को जब सात मास पूर्ण हो जाते हैं तो आठवें मास में आठवाँ पूजन महोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रीतिभोज का भी आयोजन किया जाता है।

जन्म

  • यदि लड़के का जन्म होता है तो घर की बड़ी औरत ‘कांसे की थाली’ बजाती है तथा लड़की के जन्म पर ‘सूप’ बजाया जाता है। जन्म के बाद परिवार की वृद्ध महिला बच्चे को जन्म-घुट्टी पिलाती है।

आख्या

  • बच्चे के जन्म के आठवें दिन बहनें आख्या करती हैं तथा सखिया (मांगलिक चिह्न) भेंट करती हैं।

दसोटण

  •  जोधपुर राजघराने में पुत्र जन्म के बाद 10वें दिन अशौच शुद्धि के अवसर पर किया जाने वाला समारोह।

सुहावड़

  • मारवाड़ की परम्परा अनुसार प्रसूता को सौंठ, अजवाईन, घी-खांड के मिश्रण के लड्‌डू बना कर खिलाए जाते हैं, इसे सुहावड़ कहा जाता है।

आगरणी

  • गर्भ धारण के आठ महीने बाद अगरणी पर गर्भवती महिला की माता बेटी के लिए घाट (ओढ़नी) व मिठाई (विशेषकर घेवर) भेजती थी।

जामणा

  • पुत्र जन्म पर नाई बालक के पगल्ये (सफेद वस्त्र पर हल्दी से अंकित पद चिह्न) लेकर उसके ननिहाल जाता है। तब उसके नाना या मामा उपहार स्वरूप वस्त्राभूषण, मिठाई लेकर आते हैं, जिसे ‘जामणा‘ कहा जाता है।

सुआ

  • इस संस्कार के अन्तर्गत बच्चे के जन्म के बाद सारे घर की शुद्धि की जाती है। जच्चा के घर को सुआ कहते हैं।

न्हावण या न्हाण

  • प्रसूता का प्रथम स्नान व उस दिन का संस्कार।

सतवाड़ौ

  • प्रसव के सातवें दिन का प्रसूता द्वारा किया गया स्नान।

पनघट पूजन

  • बच्चे के जन्म के कुछ दिनों उपरान्त ‘कुआँ पूजन’ की रस्म मनाई जाती है। इस प्रथा को ‘कुआँ पूजन’ या जलवा पूजन‘ भी कहते हैं। इस अवसर पर घर, परिवार और मोहल्ले की स्त्रियाँ, बच्चे की माँ को लेकर देवी-देवताओं के गीत गाती हुई कुएँ पर जाती हैं। कुएँ पर जल पूजा भी की जाती है।

ढूँढ

  • बच्चे के जन्म के बाद प्रथम होली पर ननिहाल पक्ष की ओर से उपहार, कपड़े, मिठाई व फूल भेजे जाते हैं।

गोद लेना

  • इस रस्म का उद्देश्य वंश चलाना होता है। किसी दम्पती के संतान नहीं होने पर वह अपने रिश्तेदारों अथवा अपने किसी संबंधी की संतान को गोद ले कर अपनी ही संतान की तरह उसका पालन पोषण करते एवं अधिकार प्रदान करते हैं। 

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अंतिम शब्द 

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