राजस्थान की प्रमुख हवेलियां | Havelies of rajasthan | Rajastha gk Question in hindi Download free

राजस्थान की प्रमुख हवेलियां –

राजस्थान की प्रमुख हवेलियों में पटवों की हवेली , सालीमसिंह की हवेली , नथमल की हवेली , रामपुरिया हवेली , पंसारी की हवेली , जालिमसिंह की हवेली ,बागोर की हवेली , बड़े मियां की हवेली , पोद्दार की हवेली  आदि  हैं । 

  • पटवों की हवेली – राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। 66 झरोखों से युक्त ये हवेलियां वास्तव में स्थापत्य कला का सर्वोत्तम उदाहरण हैं। यह हवेली अपनी नक्काशी व पत्थर में बारीक कटाई के लिए प्रसिद्ध है। 
  •  सालीमसिंह की हवेली भी जैसलमेर जिले में स्थित है जो जैसलमेर में सबसे ऊंची इमारतों में से है।
  •  नथमल की हवेली जैसलमेर जिले में स्थित पीले पत्थर से निर्मित है।
  • रामपुरिया हवेलियां बीकानेर जिले में स्थित है।बीकानेर की प्रसिद्ध हवेलियां लाल पत्थर से निर्मित हैं। इन हवेलियों में हिंदू , मुगल और यूरोपीय कला का अद्भुत समन्वय है ‌।
  • प्रसिद्ध पंसारी की हवेली श्रीमाधोपुर (सीकर ) जिले में स्थित है।
  •  जालिमसिंह की हवेली झालरापाटन में स्थित है।
  • राजस्थान में दानचंद चोपड़ा की हवेली सुजानगढ़ में स्थित है।
  • उदयपुर के राज महलों की सुंदरता के कारण प्रसिद्ध इतिहासकार फर्ग्यूसन ने इन्हें विंडसर महलों की संज्ञा दी थी।
  • खेतड़ी महल का निर्माण अपने ग्रीष्मकालीन विश्राम हेतु झुंझुनू में अनेक खिड़कियों व झरोखों से सुसज्जित बहू मंजिलें महल के रूप में खेतड़ी ( झुंझुनूं ) के महाराजा भोपाल सिंह ने निर्माण करवाया था।
  •  राजस्थान में सबसे अधिक हवेलियां झुंझुनू के नवलगढ़ में होने के कारण  नवलगढ़ को हवेलियों का नगर भी कहते हैं। 
  • राजस्थान की हवेलियां भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। 

 

राजस्थान की प्रमुख दरगाह/मस्जिद –

  • मीठे शाह की दरगाह गागरोन (झालावाड़ ) में स्थित है।
  • सरगासूली जिसे ईसरलाट के नाम से भी जाना जाता है जयपुर जिले में स्थित है।
  • अल्बर्ट हॉल , जंतर मंतर, हवा महल , ईदगाह मस्जिद भी राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है। जयपुर के हवामहल में 953 खिड़कियां हैं।
  • फ़ख़रुद्दीन की दरगाह गलियाकोट ( डूंगरपुर) में स्थित है। यह दाऊदी बोहरा संप्रदाय के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। माही नदी के तट पर स्थित यह दरगाह परमार राजाओं से संबंधित है।
  • गुलाब खां का मकबरा , उम्मेद भवन , इकमीनार मस्जिद आदि राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है।
  • नरहड़ पीर की दरगाह, शक्कर बाबा पीर की दरगाह झुंझुनू जिले में स्थित है। शक्कर पीर बाबा को बांगड़ का धणी भी कहा जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी को मेला भरता है।
  • नेहर खां की मीनार राजस्थान के कोटा जिले में स्थित है।
  • सरवाड़ की दरगाह जिसे ख्वाजा फखरुद्दीन की दरगाह के नाम से भी जाना जाता है अजमेर जिले के सरवाड़ क्षेत्र में स्थित है।
  • ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। यह सबसे पूजनीय दरगाह मानी जाती है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती गरीब नवाज के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में भारत आए थे।
  • अजमेर जिले में अढ़ाई दिन का झोपड़ा, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भी स्थित है। अढा़ई दिन का झोपड़ा मूल रूप से चौहान शासक बीसलदेव जिसे विग्रहराज चतुर्थ के नाम से भी जाना जाता है ने बनवाया था। यह संस्कृत पाठशाला थी लेकिन कुतुबुद्दीन ऐबक ने अढा़ई दिन के झोपड़े में परिवर्तित कर दिया था।
  • विजय स्तंभ एवं कीर्ति स्तंभ चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
  • जोधपुर मेहरानगढ़ दुर्ग में भूरे खां की मजार स्थित है।
  • अजमेर स्थित तारागढ़ दुर्ग में प्रसिद्ध मुस्लिम संत मीरान् साहब की दरगाह है।
  • अलाउद्दीन आलम शाह का मकबरा अलवर में स्थित है।
  • बारां जिले में स्थित शाहबाद मस्जिद राजस्थान की सबसे बड़ी मस्जिद है।
  • बड़े पीर की दरगाह नागौर जिले में स्थित है। यह दरगाह भारत में कादरिया संप्रदाय की सबसे बड़ी दरगाह मानी जाती है।
  • उषा मस्जिद बयाना (भरतपुर) में स्थित है।

राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां –

  • आभानेरी (दौसा) में स्थित प्राचीन बावड़ी चांद बावड़ी के नाम से जानी जाती है।
  • दूध बावड़ी माउंट आबू में स्थित है।
  •  डूंगरपुर स्थित नौलखा बावड़ी रानी परिमल देवी ने बनवाई थी। रानी परिमल या प्रेमल देवी बागड़ के गुहिल नरेश आसकरण की पटरानी थी।
  • नौलखा बावड़ी डूंगरपुर जिले में स्थित है।
  • रानी जी की बावड़ी बूंदी जिले में स्थित है।
  • बाटाडू का कुआं बाड़मेर के बाटाडू गांव में रावल गुलाबसिंह द्वारा निर्मित संगमरमर का कुआं है। इसे रेगिस्तान का जलमहल भी कहा जाता है।

राजस्थान की प्रमुख छतरियां –

राजस्थान में राजाओं का शासन था। राजाओं और श्रेष्ठी ( संपन्न वर्ग , सेठ ) आदि के मरने के बाद उनकी याद में जो स्मारक बनाए गए जिन्हे छतरियां य देवल कहा गया है। राजस्थान की प्रमुख छतरियां इस प्रकार हैं –

  • नैडा़ की छतरियां अलवर जिले के सरिस्का वन क्षेत्र में स्थित है।
  • मूसी महारानी की छतरी अलवर जिले में स्थित है। अलवर के महाराजा विनय सिंह ने इसका निर्माण करवाया था।
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरा के मंदिर के सामने संत रैदास की छतरी स्थित है।
  • देवकुंड की छतरियां बीकानेर जिले में स्थित है।
  • महाराणा प्रताप की छतरी केजड़़ बांध पर चावंड के पास बांडोली में स्थित है।
  • आहड़ की छतरियां उदयपुर जिले में स्थित है।
  • 84 खंभों की छतरी बूंदी जिले में स्थित है।
  • 32 खंभों वाली छतरी मांडल भीलवाड़ा जिले में स्थित है।
  • मंडोर की छतरियां राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित हैं। राजस्थान की छतरियां स्थापत्य कला और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।

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